माता के 52 शक्ति पीठ
हम सभी जानते हैं कि दक्ष यज्ञ में शिव जी के अपमान करने के बाद माता सति ने दक्ष के अन्न से निर्मित देह पवित्र अग्नि को समर्पित कर दी थी. इसके बाद नारायण नेअपने सुदर्शन चक्र से माता सति के अंग के खंड खंड कर दिए थे. जो 52 भागों में विभक्त हो गये थे. माता सति के 52 अंग भाग जहाँ जहाँ स्थापित हुए, वह स्थान आज भी आदि शक्ति पीठ माता के 52 स्वरूपों के रूप में दर्शनीय स्थल है. ये सभी शक्ति पीठ शक्ति उपासना के केन्द्र है.
हमारी यह पंच भौतिक काया तीन भागों में विभाजित है.प्रथम स्थुल देहि, द्वितीय कारण देहि, तृतीय सुक्ष्म देहि.
कारण देहि के दो भाग है, प्रथम कारण, दूसरा महाकारण, देहि इसी प्रकार सुक्ष्म देहि के तीन भाग है, प्रथम ज्ञान देहि, द्वितीय आनंद देहि तृतीय विज्ञान देहि.
ईस प्रकार परमात्मा ने हमें छः शरीर प्रदान किये है. जिसमें तीन शरीर स्थूल कारण और महाकारण का हम प्रत्यक्ष अनुभव करते हैं. बाकी तीन देहि की सुक्ष्म अध्यात्मिक साधना के बाद ही अनुभूति होती है.
मानव देहि के मनोमय स्वरूप कारण में ही मेरी अनुभूति के आधार पर 52 शक्ति केन्द्र है. जिन्हें हम अक्षर ब्रह्म के रूप में जानते हैं. हिन्दी वर्णमाला के 52 अक्षर से ही शक्ति के 52 बीज मंत्र जुड़े हैं. संसार की पहचान हीअक्षर ब्रह्म है.हम सभी किसी वस्तु, पदार्थ को उसके अक्षर नाम से ही पहचानते है. संसार की समस्त भाषायें 52 अक्षर से ही बनीहै. सभी भाषाओं की लिपि भिन्न भिन्न है, लेकिन मुल आधार अक्षर ब्रह्म ही है.
अक्षर निराकार निर्विकार आकार व साकार ब्रह्म है। हमारे मनोमय शरीर में मेरी दृष्टि अनुभूति के माध्यम से शक्ति केन्द्रो को दृष्टि गत करता हूँ|जो एक बीज मंत्र बन जाता है|
मानस शरीर के 52 बीज मंत्र
1) ललाट पर
अम् नमः शिवाय अम्
2) शिखा
आम् नमः शिवाय आम्
3) दाहिनी आंख
इम् नमः शिवाय इम्
4) बांई आंख
ईम् नमः शिवाय ईम्
5) दाहिना कान
उम् नमः शिवाय उम्
6) बांया कान
ऊम् नमः शिवाय ऊम्
7) नाशिका
ऋम् नमः शिवाय ऋम्
8) उपर के ओठ
एम् नमः शिवाय एम्
9) निचले ओठ
ऐम् नमः शिवाय ऐम्
10) उपर के दांत
ओम् नमः शिवाय ओम्
11) निचे के दांत
औम् नमः शिवाय ओम्
12) दांया गाल-
अंम् नमः शिवाय अंम्
13) बांया गाल
अःम् नमः शिवाय अःम्
14) दाहिना हाथ ऊपर से निचे
कम् नमः शिवाय कम्
खम् नमः शिवाय खम्
खम् नमः शिवाय खम्
गम् नमः शिवाय गम्
घम् नमः शिवाय घम्
ड॰म् नमः शिवाय ड॰म्
15) बांया हाथ
चम् नमः शिवाय चम्
छम् नमः शिवाय छम्
जम् नमः शिवाय जम्
झम् नमः शिवाय झम्
ञम् नमः शिवाय ञम्
16) दाहिना पैर- उपर से निचे
टम् नमः शिवाय टम्
ठम् नमः शिवाय ठम्
डम् नमः शिवाय डम्
ढम् नमः शिवाय ढम्
णम् नमः शिवाय णम्
17) बांया पैर
तम् नमः शिवाय तम्
थम् नमः शिवाय थम्
दम् नमः शिवाय दम्
धम् नमः शिवाय धम्
नम् नमः शिवाय नम्
18) पेट
पम् नमः शिवाय पम्
19) फेफड़े
फम् नमः शिवाय फम्
बम् नमः शिवाय बम्
20) कंधे
भम् नमः शिवाय भम्
21) हृदय
मम् नमः शिवाय मम्
22) रीढ़ की हड्डी निचे से उपर
यम् नमः शिवाय यम्
रम् नमः शिवाय रम्
लम् नमः शिवाय लम्
वम् नमः शिवाय वम्
शम् नमः शिवाय शम्
षम् नमः शिवाय षम्
सम् नमः शिवाय सम्
23) नाभी
हम् नमः शिवाय हम्
24) नाभी से निचे कामारी स्थान
क्षम् नमः शिवाय क्षम्
25) कंठ
त्रम् नमः शिवाय त्रम्
26) जीव्हा
ज्ञम् नमः शिवाय ज्ञम्
27) दोनों हाथों की हथेली
ड़म् नमः शिवाय ड़म्
ढ़म् नमः शिवाय ढ़म्
(27) हमारा पिंड आकार पुर्ण शरीर
श्रम् नमः शिवाय श्रम्
इन ५2 केन्द्रों पर ज्योति स्वरूप शिव जी का ध्यान करने से संपूर्ण त्रिताप दैविक दैहिक और भौतिक ताप से मुक्ति मिलती है| हमारे भीतर दैवीय शक्ति का संचार होता है|
ऊँ नमः शिवाय
शिवांश