Shiv Chaturthi Vrat: प्रत्येक माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि का दिन माना जाता है। जो की इस माह शिव चतुर्दशी 30 मार्च 2022 को है। कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के स्वामी भगवान शिव हैं। इस दिन भगवान शिव की पूजा अर्चना के साथ-साथ शिव परिवार के सभी सदस्यों की उपासना की जाती है। सुख-शांति की कामना से शिव का पूजन किया जाता है। इस दिन शिव पर पुष्प चढ़ाने तथा शिव अभिषेक और शिव के मंत्रों के जप का विशेष महत्व माना गया है।
इस दिन पुरे विधि विधान से भगवान शिव का पूजन और व्रत किया जाता हैं। ऐसा कहा जाता है की इस व्रत को करने से व्यक्ति काम, क्रोध, लोभ, मोह आदि के बंधन से मुक्त हो जाता है और मोक्ष को प्राप्त कर के शिव धाम को जाता है।
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Shiv Chaturthi Vrat vidhi (शिव चतुर्दशी व्रत विधि)
शिव अभिषेक में जल, दूध, दही, शुद्ध घी, शहद, शक्कर या चीनी,गंगाजल तथा इत्र आदि से स्नान कराया जाता है। अभिषेक कराने के बाद बेलपत्र, समीपत्र, कुशा तथा दूब आदि से शिवजी को प्रसन्न करते हैं। अंत में भांग, धतूरा तथा नारियल भोलेनाथ को भोग के रुप में समर्पित किया जाता है।
चतुर्थी के दिन उपास रखना चाहिए तथा दिन भर ॐ नमःशिवाय का जाप करना चाहिए।
Importance Of Shiv Chaturdashi Vrat (शिव चतुर्दशी व्रत का महत्त्व)
शिव चतुर्दशी का व्रत जो भी व्यक्ति पूरे श्रद्धाभाव से करता है उसके माता- पिता और उसके सारे पाप मिट जाते हैं। इसके अलावा उसके स्वयं के सारे कष्ट बाधाएं दूर हो जाती है तथा वह जीवन के सम्पूर्ण सुखों का भोगता है। इस व्रत की महिमा से व्यक्ति दीर्घायु, ऐश्वर्य, आरोग्य, संतान एवं विद्या आदि प्राप्त कर अंत में शिवधाम जाता है।
शिव चतुर्दशी व्रत के नियम
- शिव चतुर्दशी का व्रत करने वाले को एक समय भोजन करना चाहिए।
- सुबह व्रत का संकल्प लेकर शिव जी की धूप, दीप पुष्प आदि से पूजा करें।
- पूजा में भांग, धतूरा और बेलपत्र का विशेष महत्व है।
- शिव मंत्रों का जाप शिव मंदिर या घर के पूर्व भाग में बैठकर करने से फल प्राप्त होता है।
- चतुर्दशी के उपरांत ब्राह्मणों को भोजन कराके स्वयं भोजन करना चाहिए।
चतुर्दशी के दिन रात्रि के समय शिव मंत्रों का जाप करना चाहिए. शिवजी के कुछ विशेष मंत्र इस तरह हैं
शंकराय नमसेतुभ्यं नमस्ते करवीरक
त्र्यम्बकाय नमस्तुभ्यं महेश्र्वरमत: परम
नमस्तेअस्तु महादेवस्थाणवे च ततछ परमू
नमः पशुपते नाथ नमस्ते शम्भवे नमः
नमस्ते परमानन्द नणः सोमार्धधारिणे
नमो भीमाय चोग्राय त्वामहं शरणं गतः